उदास मन …

Udaas Mann

हृदयानुभूति

उदास मन
उदास शामें
नापसंद हैं तो क्या
जो लिखी आपके हिस्से
वो मिलेंगी ज़रूर 
जब भी गुज़रे
ऐसी शाम करीब से
न छूना
बस देखना ध्यान से
लिपटे हुए जीवन को 
कुछ कसा कुछ दबा 
बेचैन सा होगा व्याकुल
आने को बाहर
ज़रूरत
बस इतनी कि
फैला दो विस्तार मन का
मुस्कुरा दो 
एक मुस्कान कर देगी उसे
सारे बंधनों से मुक्त
उदास शाम उसी पल
मुस्कुराता जीवन बन जाएगी .

View original post